अनुभूति में
विभारानी की रचनाएँ-
छंदमुक्त
में-
गुजारिश
तुम्हारे प्यार की टिस टिस में
तोतापंखी चिकनाई
रात मद्धम मद्धम सी |
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तुम्हारे प्यार की टिस-टिस में!
तुम्हारे प्यार की धूप-छाँव
जैसे मंगरैल और अजवायन की
काली-गोरी सोहबत- खुशबूदार,लज्जतदार
सेहतमंद और सुपाच्य भी
आँखों के कोयों और पुतलियों में
जलते दिए और बाती सी
तुम्हारी मुहब्बत
दिन पसीना बन सूरज के संग टपकता रहा
टप-टप!
रात पसलियों में बसे दर्द सी दीखती रही
टिस-टिस!
अब कौन है,
जो ले आए सपनों का मीठा-गुनगना थाल
और
लाकर रख दे दिल की सात तहों के भीतर पैठी
दुखों की चादर झीनी-बीनी सुनहरी और लाल! ३१ मार्च २०१४ |