अनुभूति में सुनील साहिल की रचनाएँ
छंदमुक्त में-
उठो भी अब
काश
छोटी छोटी बूँदें
जब तुम आते हो
तुमसे मिलने के बाद
दरियागंज के आसपास
हास्य व्यंग्य में-
जोंक
गुरू की महिमा
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जोंक
कल रास्ते में मिली एक जोक
पूछा जो हालचाल तो करने लगी शोक
हमने कहा - क्या हुआ प्यारी जोक
समझाओ तो
अपने हृदय की व्यथा कथा जरा बतलाओ तो
तेरा धंधा भला भारी होगा
खून चूसना जारी होगा
जोक बोली -
हमारा ये अधिकार तो तुमने हमसे ले रखा है
खून चूसने का ठेका नेताओं को दे रखा है
पता नहीं नेताओं का, कैसी इनकी जात है
खून चूसने में हम जोको को दे दी मात है।
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