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अनुभूति में शोभनाथ यादव की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
तलैया का चिलमन
मरती माँ के लिये
लौटी है रिश्ते लेकर

वैलेंटाइन डे

संकलन में-
गुलमोहर- आरक्त गुलमोहर

 

 

वैलेंटाइन डे

घाटी के इस पार
पहाड़ी की ऊँचाई पर
फैले दूर तक
हरे-भरे जंगल के बीच
किसी दरख्त से
आती है एक चिडिय़ा की मधुर आवाज
‘ट्रॉ ऽ...ट्रॉ ऽऽ...ट्रॉ ऽऽऽ...’
यानी कि ‘आई लव यू!’
घाटी के उस पार
किसी दूसरी चिडिय़ा की वैसी ही
मधुर आवाज सुनायी देती है फिर-
‘ट्रऽ...ट्रॅ ऽऽ...ट्रऽऽऽ...’
यानी कि ‘आई लव यू टू!’
फिर अचानक
उड़ जाते हैं वे दोनों
दूर क्षितिज में-
किसी पूर्व निर्धारित अपनी ‘डेट’ पर!
मैं भौंचक्का-सा
ताकता रह गया
दूर क्षितिज की ओर उड़ते
उन पंक्षियों को देख कर!
और पूछने लगा खुद से-
क्या वाकई
आज ही है ‘वैलेंटाइन डे’?

९ अक्तूबर २००९

 

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