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अनुभूति में शशिकांत सिंह शशि की रचनाएँ -

छंदमुक्त में-
क्रांतिबीज
चाहत
जादूगर और कलुआ
बयान


 

 

जादूगर और कलुआ

जादूगर ने पिटारे से निकाले
रॉकेट, रोबोह, और कम्प्युटर
लोग तालियाँ बजाने लगे
उदास हो गया कलुआ।

जादुगर ने पढ़े मंत्र
बना दिये कागज के
मंदिर-मस्जिद और गिरजा
लड़ने लगे लोग,
लहूलुहान हो गया कलुआ।

जादूगर ने निकाली जादू की छड़ी
बनने लगे कंपलक्स लग्जरी कारें
उछलने लगे शेयर बाजार,
मुदित हो गया विश्व बैंक
धम्म से गिरा कलुआ,

बेचारा
मिट्टी में मुँह छुपाये पड़ा था
सुबह से रोटी के लिए खड़ा था।

१० फरवरी २०१४

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