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अनुभूति में संगीता गोयल की रचनाएँ-

जीवन का अर्थ
जो हट कर रहा है
प्रश्न
सम्प्रति
तीन छोटी कविताएँ

संकलन में
हाथ में प्याला - 'गाँव' में अलाव में

 

संप्रति

वो पल
याद है मुझे आज भी
बिछड़ा जाना पहचाना सभी
पगडंडी बने वहॉं जहॉं रास्तों की होड़ नहीं
मेरा हाथ थामा
मैंने खुद ही
मैं ही औज़ार
मैं ही कलाकार बनी
उपलब्धि ?
हथेली पर सजे
पूर्ण पलों के
श्वेत कुछ मोती!!!
संप्रति
सत्य की
भूख को आंकती
ज़िंदगी।

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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