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अनुभूति में संगीता गोयल की रचनाएँ-

जीवन का अर्थ
जो हट कर रहा है
प्रश्न
सम्प्रति
तीन छोटी कविताएँ

संकलन में
हाथ में प्याला - 'गाँव' में अलाव में

 

जो हट कर रहा है

जो हट कर रहा है
वो मिटकर रहा है
जो तट पर खड़ा है
वो हठ कर रहा है

जो हँस कर रहा है
वो बस कर रहा है
कि फन कट रहा है
और तन घट रहा है

जो मौन हो गया है
वो ठौर पर खड़ा है
जो गीत गा रहा है
भयभीत जा रहा है 

वो काँच चुन रहे हैं
जो गर्द पर जलेंगे
वो आँच खोजते हैं
जो सिर नहीं झुकेंगे

जो तट पर खड़ा है
वो हठ कर रहा है
वो हाँक कर रहेगा
जो नाम रट रहा है

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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