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अनुभूति में रवींद्र मोहन दयाल
की रचनाएँ -

छंदमुक्त में -
अटल विश्वास
हार नहीं होती
स्याह बादल

 

 हार नहीं होती

गोताखोर समुंदर में रोज डुबकियाँ लगाता है
जाके खाली हाथ बार बार वापस लौट आता है
मिलता क्यों नहीं मोती इतने भी गहरे पानी में
बढ़ता है उत्साह दूना उसकी इसी हैरानी में
अन्तत:
उसकी मुठ्ठी:
हर बार खाली हाथ नहीं होती
संघर्ष करने वालों की हार नहीं होती

असफलता एक चुनौती है : स्वीकार करे हम
क्या कमी रह गयी देखो और सुधार करो तुम
जब तक मिले सफलता नींद और चैन क्यों त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही व्यर्थ ही जय जयकार नहीं होती
संघर्ष करने वालों की हार नहीं होती

 

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