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अनुभूति में राजकिशोर की रचनाएँ-

सुख
दुख
साहस
 

 

 

साहस

सभ्यता के सारे तीर
खुली छाती पर सहता हूँ
शहर के बीचोंबीच
आदिवासी-सा रहता हूँ

१ सितंबर २००६

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