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अनुभूति में राजकिशोर की रचनाएँ-

सुख
दुख
साहस
 

 

 

 

दु:ख

बैठा हूँ
ऐसी ट्रेन में
जो कहीं नहीं ले जाती
तैर रहा हूँ उस नदी में
जिसका
कोई किनारा नहीं है
रहता हूँ ऐसे घर में
जिसकी खिडकियाँ खुली ही रहती हैं
पर जिनमें कोई झाँकता नहीं
जाता हूँ उन जगहों पर
जो मुझे
जस-का-तस
लौटा देती हैं
अपने इस दु:ख की उम्र
बताऊँ?
पूरे पचास बरस!

१ सितंबर २००६

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