अनुभूति में
रचना दीक्षित की रचनाएँ-
विज्ञान कविताएँ-
आकर्षण
आसरा
गुरुत्वाकर्षण
द्वन्द्व
वृत्त
|
|
गुरुत्वाकर्षण
(भौतिक विज्ञान से संबंधित)
बचपन में पढ़े तो बहुत थे
विज्ञान के नियम
पर उनके होने का
पहला आभास हुआ तब,
जब पहली बार
तुम्हे देखा भर था,
शाश्वत सा हो गया वो आकर्षण,
मुझे अहसास था
मैं फिर भी आश्वस्त रही,
कि किसी न किसी दिन तो टूटेगा,
उस न्यूटन का भरम
और मैं स्वतः ही निकल जाऊँगी
कभी तुम्हारे दायरे से बाहर
पर हैरान हूँ मैं,
उसकी दूरदर्शिता पर
सत्यापित हो चुके हैं उसके नियम
आज भी यथावत है
वो चुम्बकत्व, रोमांच
तुम, मैं
तुम्हारी बाँहों के गुरुत्व बल के घेरे
और सम्पूर्णता
(न्यूटन के नियम: आम भाषा में
कोई वस्तु चल रही है तो चलती रहेगी, जब तक कोई रोके नहीं हर
क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है
किन्ही भी दो वस्तुओं के बीच सदैव एक आकर्षण बल होता है, जो
गुरूत्वाकर्षण कहलाता है)
२३ मई २०११
|