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अनुभूति में ओम प्रकाश की रचनाएँ—

छंदमुक्त में-
अगर तुम मुझे अपना सको
एक राम और कितने रावण
जिंदगी की नाव
रिश्ते नहीं मरते
वक्त लगता है
साथ

 

साथ

किसी का साथ
एक सा नहीं रहता
नहीं रहती नदी एक सा
नहीं रहता आकाश एक सा।

बदलना अपनों का
बुरा मानते आए हैं हम
नहीं चाहते कि बदले कुछ भी
संबंधों के दरम्याँ।

पर दुनिया बदलती ही रहती है
बदलता ही है वक्त
बदले हुए वक्त में
बदलते ही हैं हम ।

बदलते-बदलते
हमें खुद ही यकीं नहीं होता
कि हम क्या हो गए हैं
कहीं पहुँचने की ख्वाहिश में
हम जहाँ पहुँचते हैं
शायद वहाँ पहुँचना ही नहीं था हमें ।

थामने वाले हाथ भी
छूटते ही हैं एक दिन
जैसे साँस एक दिन
छोड़ ही देती है साथ।

वैसे ही किसी साथ
एक सा नहीं रहता।

१ सितंबर २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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