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तुम्हारे हक में
तुम्हारे हक
मेंक्या लिखूँ
कागज, कलम से पहले
सोचना पड़ता है
कमरे के किराये के बारे में
बस भाड़ा के बारे में
हमारे बहुत से
सघोषित शुभचिन्तक
लिख रहे हैं
शासन के पक्ष में
कभी वालमार्ट
तो कभी डीजल की कीमतों पर
उन्हें केवल चिंता है
अन्ना-रामदेव मिलन की
केजरीवाल और अन्ना की जुदाई की
और हम सुस्ता रहे हैं
बीड़ी फूँक कर
फुटपाथों पर
अब तो जागो
मेरे साथ आओ
१४ जनवरी २०१३
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