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अनुभूति में नित्यानंद गायेन की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अलग है हमारी मुसकानों की छवि
इन्हें मालूम है तस्वीरें बोला नहीं करतीं
तुम्हारे हक में

संवेदनशील लोगों ने
हरा सपना

`

तुम्हारे हक में

तुम्हारे हक मेंक्या लिखूँ
कागज, कलम से पहले
सोचना पड़ता है
कमरे के किराये के बारे में
बस भाड़ा के बारे में

हमारे बहुत से
सघोषित शुभचिन्तक
लिख रहे हैं
शासन के पक्ष में
कभी वालमार्ट
तो कभी डीजल की कीमतों पर

उन्हें केवल चिंता है
अन्ना-रामदेव मिलन की
केजरीवाल और अन्ना की जुदाई की

और हम सुस्ता रहे हैं
बीड़ी फूँक कर
फुटपाथों पर

अब तो जागो
मेरे साथ आओ

१४ जनवरी २०१३

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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