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अनुभूति में नित्यानंद गायेन की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अलग है हमारी मुसकानों की छवि
इन्हें मालूम है तस्वीरें बोला नहीं करतीं
तुम्हारे हक में

संवेदनशील लोगों ने
हरा सपना

`

हरा सपना

उस बूढ़े घोड़ेको
स्वप्न में दिखा
चारों ओर
हरे घास के मैदान

हाँफते-हाँफते
दौड़ पड़ा वो

अचानक देखा
एक ऊँचा पहाड़
एक दम काला
कहीं भी नहीं
घास का एक तिनका

जाग उठा घोड़ा
खूब शर्माया
बुढ़ापे में देखे
अपने 'हरे' सपने पर

१४ जनवरी २०१३

 

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