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अनुभूति में डॉ. नवीनचंद्र लोहानी की
रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
कुछ भी करते हुए
जिद्दी रात
पहाड़
पहाड़ की सुबह
वे कितने बदनसीब होते हैं
हमें कविता सुननी है

  जिद्दी रात

धूपसुबह-सुबह बीन लेती है
शरारती रात के फैलाये सफेद मोती

पर जिद्दी रात
सुबह से पहले ही
हर रोज
‘फिर खोल देती है
लड़ी मोतियों की
 
१७ अक्तूबर २०११
 

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