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मैं सोचता हूँ

मैं सोचता हूँ
सभी का समय कीमती रहा
सभी का
अपना-अपना महत्व था
और सभी में अच्छी संभावनाएँ थीं,
छोटी सी रेत से भी
भवनों का निर्माण हो जाता है
और सागर का सारा पानी
दरअसल बूँद ही तो है।

रास्ते के इन पत्थरों को
मैंने कभी ठुकराया नहीं था
इन्हें नहीं समझ पाने के कारण
इनसे ठोकर खाई थी
और वे बड़े-बड़े आलीशान महल
अपने ढहते स्वरूप में भी
आधुनिकता को चुनौती दे रहे हैं
और उनका ऐतिहासिक स्वरूप
आज भी जिंदा है।

३० जून २०१४

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