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अनुभूति में नंद भारद्वाज की रचनाएँ—

छंदमुक्त में-
एक आत्मीय अनुरोध

तुम यकीन करोगी
तुम्हारा होना
बरसों बाद
मैं जो एक दिन

 

तुम्हारा होना

तुम्हारे साथ
बीते समय की स्मृतियों को जीते
कुछ इस तरह बिलमा रहता हूँ
अपने आप में,
जिस तरह दरख्त अपने पूरे आकार
और अदीठ जड़ों के सहारे
बना रहता है धरती की कोख में ।

जिस तरह
मौसम की पहली बारिश के बाद
बदल जाती है
धरती और आसमान की रंगत
ऋतुओं के पार
बनी रहती है नमी
तुम्हारी आँख में -
इस घनी आबादी वाले उजाड़ में
ऐसे ही लौट कर आती
तुम्हारी अनगिनत यादें -

अचरज करता हूँ
तुम्हारा होना
कितना कुछ जीता है मुझ में
इस तरह !

२० जनवरी २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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