वो लम्हा
वो लम्हा जो
तुम्हारे
साथ गुजरा था वो अच्छा था
वो लम्हा फिर से हम इक
बार जी पाते तो
अच्छा था
तुम्हें जब याद करते है
अश्क आँखों से झरते हैं
तुम इन अश्कों को गर
मोती बना लेते तो
अच्छा था
वही हैं चांद तारे
फूल कलियाँ सब नज़ारे है
तुम्हारी ही कमी है
इक जो तुम आते तो
अच्छा था
वो नग़मा प्यार का जो
हमने तुमने गुनगुनाया था
वो नग़मा फिर से हम
इक बार गा पाते तो
अच्छा था
दूर जाकर तो जैसे भूल
बैठे हो मुझे लेकिन
कभी आकर चमन दिल का
खिला जाते तो
अच्छा था
तुमको रूठे हुए भी एक
अरसा बीत गया है
तुम वो शिकवे सभी गर
भूल जो पाते तो
अच्छा था
1 सितंबर 2007
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