अनुभूति में
कुमार
विश्वबंधु
की रचनाएँ-
छंदमुक्त
में-
अच्छे दिनों की उम्मीद पर
खौफ खाते हुए बच्चे
गाँव के बच्चे
बच्चा बना रहा है चित्र
बच्चे नहीं जाते पार्क
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बच्चे नहीं जाते पार्क
बच्चे नहीं जाते पार्क
बच्चे नहीं उड़ाते पतंग
बच्चे नहीं करते मटरगश्ती
बच्चे कुलमिलाकर नहीं करते कुछ भी
बच्चों जैसा
जबकि सभी
उन्हें कहते हैं बच्चे
जबकि सभी
उन्हें बुलाते हैं बच्चे
जबकि सभी
उन्हें समझते हैं बच्चे
लेकिन कोई भी
उन्हें जीने नहीं देता
बच्चों की तरह।
२४ मई २०१०
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