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अनुभूति में कुमार विश्वबंधु की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अच्छे दिनों की उम्मीद पर
खौफ खाते हुए बच्चे
गाँव के बच्चे
बच्चा बना रहा है चित्र
बच्चे नहीं जाते पार्क

 

बच्चे नहीं जाते पार्क

बच्चे नहीं जाते पार्क
बच्चे नहीं उड़ाते पतंग
बच्चे नहीं करते मटरगश्ती
बच्चे कुलमिलाकर नहीं करते कुछ भी
बच्चों जैसा

जबकि स‌भी
उन्हें कहते हैं बच्चे

जबकि स‌भी
उन्हें बुलाते हैं बच्चे

जबकि स‌भी
उन्हें स‌मझते हैं बच्चे

लेकिन कोई भी
उन्हें जीने नहीं देता
बच्चों की तरह।

२४ मई २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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