अनुभूति में
कविता
सुल्ह्यान की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
आकाश
एक टुकड़ा आसमान
मूक वाणी
सार
गीतों में-
सावन
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सार
एक खिड़की
अपने मन की
खोल दो
आने दो
शीतल समीर
जो सहलाए मन के
अंतर्द्वंदों को
थोड़ी सी बौछार
उन्मुक्त पावस की
भिगो जाए कठिन गुत्थियाँ
अंतर्भावों की
थोड़ी सी धूप
गर्माहट सूरज की
भर जाए कितने ही घाव
अंतर्मन के
थोड़ी सी चाँदनी
चाँद बिखेर दे
मिले शीतलता
अंतरउद्वेगों को
थोडा-सा
मुक्त आकाश झाँके
उसी खिड़की से
और तुम समझ सको
जग असार नहीं
सार है
१५ जुलाई २०१३
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