अनुभूति में
कविता
सुल्ह्यान की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
आकाश
एक टुकड़ा आसमान
मूक वाणी
सार
गीतों में-
सावन
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मूक वाणी
मूक वाणी
निःशब्द स्वर
सुनने के लिए
दो कान
जरूरी नहीं
मौन, मौन को
पढ़ लेता है
निःशब्द स्वर
गुंजित हो उठते हैं
हृदय में
आँखें-आँखों की
तरलता से
भाँप लेती हैं
वे शब्द
जिनमें स्वर नहीं
एक हल्का सा
स्पर्श
सोख लेता है
अनंत वेदनाएँ
एक हलकी मुस्कान
दे जाती है
ढेरों खुशियाँ
भावनाओं को
शब्द, वाणी
भाषा के ज्ञान की
जरूरत नहीं होती
१५ जुलाई २०१३
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