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अनुभूति में डॉ. जितेन्द्र वशिष्ठ
की रचनाएँ -

अंजुमन में-
आज फिर
त्योहारों के आने पर
बच्चों का दीवार पे लिखना
बस यों ही

  आज फिर

आज फिर चीड़ों पे छिटकी चाँदनी!
नूर की चादर में लिपटी चाँदनी!

झुरमुटों में छिप गया खरगोश वो -
राह में बैठी है ठिठकी चाँदनी!

एक मुद्दत से थे जिसकी बाट में -
अब मिली वो एक चुटकी चाँदनी!

बर्फ़ के हैं फूल और पूनम की रात -
चाँदनी पर आज झरती चाँदनी!

गिर रही है बर्फ़ अनहद नाद-सी -
है अंधेरा रात फिर भी चाँदनी!
 

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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