आज फिर
आज फिर चीड़ों पे छिटकी चाँदनी!
नूर की चादर में लिपटी चाँदनी!
झुरमुटों में छिप गया खरगोश वो
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राह में बैठी है ठिठकी चाँदनी!
एक मुद्दत से थे जिसकी बाट में
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अब मिली वो एक चुटकी चाँदनी!
बर्फ़ के हैं फूल और पूनम की
रात -
चाँदनी पर आज झरती चाँदनी!
गिर रही है बर्फ़ अनहद नाद-सी -
है अंधेरा रात फिर भी चाँदनी! |