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अनुभूति में डा इन्दु जैन की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
इन्विजिलेशन
कभी हम
तुमने
दीवारें
पूरा जीवन

 

तुमने

तुमने हमेशा वही किया
जिसके लिए बच्चों को मना किया।

हाथ में तलवार लिये
सुपर इंटलेक्ट की
काटते रहे हर दूसरे को
दागते रहे गोली अकेले में
अपनी कनपटी पर जहानी नाइन्साफ़ी की

खुद के लिए हमेशा एक कवच रहा तैयार
बच्चे खुले में खड़े रहे वार सहने तैनात।

यह भी क्या रूप नहीं एक
अपने सपने संतान में जीने का
कड़वाहट को दवा समझ पीने
दूसरे की आनाकानी को
कमजोरी मान
काले चश्मे के पीछे छिपे रहने का?

२५ फरवरी २०१३

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