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इन्दु जैन

१९२६ में जन्मी इन्दु जैन साहित्य व कलाप्रेमी दंपती लक्ष्मीचंद जैन व कुंथा जैन की बेटी थीं। उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से हिंदी साहित्य में एम ए किया था। बाद में वर्ष १९६२ से २००० तक तक वे दिल्ली यूनिवर्सिटी के इंद्रप्रस्थ कॉलेज में रहीं और रीडर के पद से सेवा निवृत्त हुईं।

वैयक्तिक विचारों को सार्वभौमिकता का जामा पहनाने वाली स्वानुभूति से उपजी उनकी कविताएँ सामाजिक यथार्थ में अपना विस्तार पाती थीं। अपने जीवनकाल में वे निरंतर रेडियो व टीवी से भी जुड़ी रहीं। उन्होंने कविताओं पर १० से अधिक व गद्य एवं अन्य विषयों पर ६ से अधिक पुस्तकें लिखीं साथ ही इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के भारत ज्ञानकोश के छह भागों का संपादन भी किया।

प्रकाशित कृतियाँ-
कविता संग्रह- 'कुछ न कुछ टकराएगा जरूर', 'कितनी अवधि', 'आसपास राग', 'यहाँ कुछ हुआ तो था', 'चूमो एक लहर है कविता', 'हवा की मोहताज क्यों रहूँ' आदि।

सम्मान व पुरस्कार
इन्दु जैन को उनकी साहित्य सेवा के लिए पहले 'रचना काव्य पुरस्कार' कलकत्ता द्वारा तथा 'कितनी अवधि' के लिये हिंदी अकादमी दिल्ली के साहित्यिक कृति पुरस्कार ८५-८६ से सम्मानित किया गया। ९०-९१ उन्हें राजा राममोहन राय कलाश्री सम्मान मिला और ९१९४ में श्रमण साहित्य संस्थान द्वारा सम्मानित किया गया। हिंदी अकादमी दिल्ली द्वारा कविता के लिये १९९६-९७ का साहित्यकार सम्मान तथा २००१ में आसपास राग के लिये ग्वालियर के कृतित्व सम्मान पाने का सौभाग्य भी आपको मिला। उन्होंने हिंदी फिल्म चश्मे बद्दूर, कथा व स्पर्श के गीत भी लिखे।

२७ अप्रैल २००८ को उनका देहावसान हो गया।  

  अनुभूति में डा इन्दु जैन की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
इन्विजिलेशन
कभी हम
तुमने
दीवारें
पूरा जीवन


 




 

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