अनुभूति में डा
हृदय नारायण उपाध्याय
की रचनाएँ- अंजुमन में-
फूल काँटों में
फूल हम बन जाएँगे
बाकी सबकुछ अच्छा है
दोहों में-
मधुमास के दोहे
छंदमुक्त में
अनुत्तरित प्रश्न
सूरज, चाँद, फूल और चिड़िया
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फूल हम बन जाएँगे
काँटे तुम चाहे बनो फूल
हम बन जाएँगें
तेरी वीरानी को हम आबाद ही कर जाएँगें।
रंजो-गम को भुलाने की नयी कोशिश में हम
खूबसूरत याद की सौगात ही दे जाएँगें।
गर हवाओं को भी तुम बस प्रेम से स्वीकार लो
इनके हर झोंके नया पैगाम ही दे जाएँगे।
ये अदावत नफरतें धोखा गिला शिकवा सभी
अब मिटाकर हम नयी शुरूवात ही कर जाएँगे।
हम अगर ये सोच लें तो मुश्किलें कोई नहीं
ना खुदा में भी खुदाई का सबब दे जाएँगे।
४ अक्तूबर २०१० |