तुम्हारा स्पर्श
तुम्हारा स्पर्श
शून्य-नेत्रों से गिरी बूँद
रश्मि-स्रोतों से प्रथम साक्षात्कार
दीर्घ-साधना की अनन्य उपलब्धि
तुम्हारा स्पर्श
आत्म का स्फुरण विशुद्ध
चेतना-कंठ में कम्पित प्रार्थना-स्वर
अचेतस को तत्क्षण चेतस-बुद्धि।
तुम्हारा स्पर्श
पुष्प-कलि के विकसन का आमोद
स्थैर्य को निरन्तरता का सूत्र
आनन्द की विभोरता का लघु-प्रहसन
तुम्हारा स्पर्श
रूठेपन का मधु-स्मित-अनुरोध
सहज भाव-नर्तन का चित्र-विचित्र
'मैं'-'तुम' विलयन का सहज संचरण।
२९ सितंबर २००८ |