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अनुभूति में हेमन्त कुकरेती की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
इसीलिये
कविता की किताब
देखकर समय का अंधकार
रंग

 

रंग

मेरे चारों तरफ कई रंग हैं
कुछ को ही मैं जानता हूँ
उनकी संख्या और भी कम है जो मुझे पसंद हैं
रोती हुई काली लड़की भूल चुकी है आँसू पोंछना
पोरों के सख्त होने के बावजूद
मैं अपने हाथों को बनाना चाहता हूँ लाल रूमाल
बैंगनी रंग में बदली उस लड़की को दिखाना चाहता हूँ
कि कैसा होता है पानी का अपना रंग
कितना अजीब है कि मिट्टी सी रंग वाली औरत
और श्वेत बालों वाला बूढ़ा दोनों डरे हुए रंग हैं
मंदार के फूलों में दुबकी जंग खाई तोप को देखकर
पता चला शांति का असली मतलब
नारंगी रंग का अर्थ
मुझे छोटे-से बच्चे की हँसी से समझ आया
हरे रंग की तरह खिली नन्हीं सी लड़की डरी नहीं
कत्थई रंग के आदमी को देखकर
मैं उदास नहीं हुआ उसके पीले रंग के रिबन से
अपने गुलाबी रंग को
बच्चों में बाँटती एक युवा माँ ने
मुझे आकाश थमे रहने का विश्वास दिलाया
इनके अलावा भी कई रंग हैं
जिनमें से कुछ को मैंने उनके विद्रूप से जाना
और कुछ रंगों के स्पर्श
मुझे धोखा खाने के बाद महसूस हुए।

११ फरवरी २०१३

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