इसीलिये
जो हमने लिखा शायद उसे कोई न पढ़े
पढ़े भी कोई अगर तो उसे ठीक न लगे
यात्रा के शुरू में हुई गलती पर खत्म हो यात्रा
और जहाँ कदम रुकें वहाँ बन्द हो रास्ता
जरा सी ठंड से हमारे शरीर की आग हमें बचा न सके
मरते हुए हम खूब रोएँ
और पृथ्वी का सारा पानी बर्फ बन जाए
जिसे हम कभी न जान सके
उसके लिए हम अपना नाम बदल लें
वह हमारे पास आए
पर बदले हुए नाम से हमें पहचान ही न सके
ये सारे दुःख जीवन में विश्वास बनाये रखते हैं
इसीलिए तो हम लिखते हैं
कि कोई और रास्ता नहीं है इसके अलावा....
११ फरवरी २०१३
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