कविता की किताब
किताब की रंगीन ज़िल्द पर मत अटको
किताब खोलो
थरथराती मिलेगी धरती
गिरने से बचा आकाश इकट्ठा होता ज़हर
फिर शुरू हुआ जीवन
पहला पन्ना कोरा है ठीक आखिरी पन्ने की तरह
दूसरे पर किताब का नाम लिखा है
तीसरे पर लिखने वाले का
चौथा पन्ना उसका है जिसे समर्पित हैं कविताएँ
कहाँ क्या है ?
पाँच-छः और सातवें पन्ने यह बताने को उत्सुक हैं
शब्दों का मूल्य तय कर रहा है आठवाँ पन्ना
किताब के लिए वह नहीं है जरूरी
उससे घबराकर रूको नहीं आगे बढ़ो
नवाँ पन्ना रेखाओं से भरा है
दसवें पन्ने से शुरू है कविता
पढ़ना शुरू करो पढ़ते रहो
बाद में चलेगा पता
कितना विस्तार हुआ है दुनिया का
और कहाँ छुपे बैठे हैं दुनिया के दुश्मन।
११ फरवरी २०१३
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