अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में हेमन्त कुकरेती की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
इसीलिये
कविता की किताब
देखकर समय का अंधकार
रंग

 

कविता की किताब

किताब की रंगीन ज़िल्द पर मत अटको
किताब खोलो
थरथराती मिलेगी धरती
गिरने से बचा आकाश इकट्ठा होता ज़हर
फिर शुरू हुआ जीवन
पहला पन्ना कोरा है ठीक आखिरी पन्ने की तरह
दूसरे पर किताब का नाम लिखा है
तीसरे पर लिखने वाले का
चौथा पन्ना उसका है जिसे समर्पित हैं कविताएँ
कहाँ क्या है ?
पाँच-छः और सातवें पन्ने यह बताने को उत्सुक हैं
शब्दों का मूल्य तय कर रहा है आठवाँ पन्ना
किताब के लिए वह नहीं है जरूरी
उससे घबराकर रूको नहीं आगे बढ़ो
नवाँ पन्ना रेखाओं से भरा है
दसवें पन्ने से शुरू है कविता
पढ़ना शुरू करो पढ़ते रहो
बाद में चलेगा पता
कितना विस्तार हुआ है दुनिया का
और कहाँ छुपे बैठे हैं दुनिया के दुश्मन।

११ फरवरी २०१३

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter