दिलीप लोकरे
पेशे से फोटो
एडिटर फ्री प्रेस (अंग्रजी दैनिक) इंदौर
१९७९ से हिंदी - मराठी रंग मंच पर अभिनय -मोहन राकेश, शंकर
शेष, ज्यां पॉल सात्र, असगर वजाहत जैसे लेखकों के आधे अधूरे,
एक और द्रोणाचार्य, मेन विदाउट शेडोज, इन्ना की आवाज तथा मराठी
में मेकअप, महंत, पुरुष व दुर्फल जैसे नाटको में अभिनय।
रेडियो पर कई नाटको में आवाज व राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत,
रेडियो फीचर में भागीदारी, महानाट्य 'विक्रमादित्य 'व
'राजाभोज' जैसे नाटकों में वाइस ओवर, फोटोग्राफी में पाँच बार
सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय फोटो
प्रतियोगिता में पुरस्कृत। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित फोटो
प्रतियोगिताओ में जापान अमेरिका, इंग्लेंड, केनेडा जैसे देशों
में पुरस्कृत।
ई मेल
diliplokreindore@gmail.com
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अनुभूति में
दिलीप लोकरे की रचनाएँ-
छंदमुक्त
में-
आदमी हूँ मैं
कहाँ गई वो माँ
प्रकृति
यादों के
गलियारे
समझदार
बच्चा |