अनुभूति में
डा. भूपेन्द्र कुमार दवे की रचनाएँ—
शिशुगीत-
चिड़िया रानी
नाक
भालू
गीतों में—
तुम चाहो तो
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नाक
इधर कान है, उधर कान है
खड़ी बीच में रहती नाक
ऊपर आँखें, नीचे मुख है
बीच पड़ी बस रहती नाक
अच्छा सुनना, मीठा कहना
देख समझकर रखना नाक
बुरा सुने जो, बुरा कहे वो
बुरा दिखे तो कटती नाक
आंख, कान, मुख पहरा देते
इनके कारण बचती नाक
२४ अगस्त २००६ |