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अनुभूति में डॉ. भूतनाथ तिवारी की कविताएँ—
घूमो
जगह देता चल
ट्रैफ़िक जाम
तूती बोले
भाँपो
सरलता
सैर

 

तूती बोले

तूती बोले
तब कोई स्तुति करे, मन खोले
हंसे बोले।
करे वंदना
मतलब हो
तब कोई तलब करे
पूछे–खोजे, गिने–चुने
हाल–चाल की करे गवेषणा
ऐसी प्रशस्ति की
क्या है हस्ती
ऐसी अनुशंसा को
क्या तुम कह सकते
वाकई प्रशंसा
मुझे तो है
सौ फीसदी आशंका

९ जुलाई २००६

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