अनुभूति में
डॉ. भूतनाथ तिवारी की कविताएँ—
घूमो
जगह देता चल
ट्रैफ़िक जाम
तूती बोले
भाँपो
सरलता
सैर
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ट्रैफ़िक जाम
शहर का ट्रैफ़िक जाम
हर रास्ते भीड़
किसी के वास्ते नहीं
अपने लिए
केवल अपने लिए
गली–कूचे में भीड़
भगदड़ हलचल
कूची लेकर कैनवास पर
कोई मनोरम दृश्य
नहीं उतार रहा
लोग सीढ़ियाँ चढ़
बहुत ऊपर गए हैं
रंगों से अपने को
महज़ छींट गए हैं
कोई सिलसिला नहीं
बहुत नीचे उतर गए हैं
हृदय में कसक
जगह–जगह टीस
रहा गया उसका
चरमरा कर धराशायी होना
ट्रैफ़िक जाम है
आतंकियों से
आततायियों से
पाखंडी महंतों से
चोर उचक्कों से
बेशर्म बेमर्म से
व्यूह कैसे भेदा जाए
उम्दा कैसे पाया जाए
किस रास्ते निकला जाए
सवाल है
शहर का ट्रैफ़िक जाम है
मगर जिसके हाथ
लगाम है
हाय, उनके हाथ भी जाम है
९ जुलाई २००६
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