अनुभूति में
डॉ. भूतनाथ तिवारी की कविताएँ—
घूमो
जगह देता चल
ट्रैफ़िक जाम
तूती बोले
भाँपो
सरलता
सैर
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जगह देता चल
सड़क पर
अगल–बगल
झांकता चल
ज़िंदगी को
सहलाता,
निभाता
मोटर गाड़ी में
बंद सा
आगे बढ़ाता चल
सब कुछ पीछे छोड़ता
धरती के टुकड़े पर
अधिकार मत जता
भारी भरकम भीड़
आदमी की हो या धुएँ की
कोई नहीं चाहता
वक्त ठहर जाए
या मौत न आए
ऐसा मत चाह
सामने की राह पर
भीड़ से
गुज़रता चल
औरों की भी अमानत है— जगह
उन्हें देता चल
९ जुलाई २००६
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