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अनुभूति में आशीष भटनागर की 
रचनाएँ — 

छंदमुक्त में-
साँस 
प्यार
प्रिय मन
डोरेस्वामी की वीणा सुनते ही
उत्तरकाशी १९९१

 

साँस

एक 
लम्बी
गहरी साँस
सुनी तुमने?
मन के
खौलते तेल में
गिरने की आवाज़?

तुम
जो आँसुओं में
बहा रही हो
मैं उस धमनियों में
फूँक रहा हूँ।

९ सितंबर २००२

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