अनुभूति में अरविंद कुमार सिंह की रचनाएँ
छंदमुक्त में- पतझड़ नीड़ मानव
नीड़ अपने चोंच से तिनका-तिनका बड़े लगन से बीन-बीन कर एक चिङ़िया अपना नीड़ बनाती है। चिलचिलाती धूप, तेज बारिश, कइ़क शरद में स्वयं को परिवार सहित छुपाती है। पर निर्मित ऊँची-ऊँची भव्य अट्टालिकाऒं से आश्रय की आस नहीं लगाती है। २७ सितंबर २०१०
इस रचना पर अपने विचार लिखें दूसरों के विचार पढ़ें
अंजुमन। उपहार। काव्य चर्चा। काव्य संगम। किशोर कोना। गौरव ग्राम। गौरवग्रंथ। दोहे। रचनाएँ भेजें नई हवा। पाठकनामा। पुराने अंक। संकलन। हाइकु। हास्य व्यंग्य। क्षणिकाएँ। दिशांतर। समस्यापूर्ति
© सर्वाधिकार सुरक्षित अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है