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अनुभूति में अर्पण क्रिस्टी की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
कब्रिस्तान
ख़्वाब
दाग अच्छे हैं
सुखाने के लिए टांगा है दिल को

 

ख्वाब

बरसों से सूखी पड़ी रेत पर,
कभी कोई बादल ठहरता हैं
और रेत ख़्वाब बुनने लगती हैं
भीगने के
रेत के कुछ ज़र्रे
ऊपर उठने भी लगते हैं
बादल को छूने,
और,
और फिर…
अचानक ही बादल को पर निकल आते हैं,
और वह उड़ जाता हैं कहीं दूर...
रेत पर वही खुले सुलगते आसमान को छोड़ कर

कभी कभी ख़्वाबों में यह देखा हैं मैंने

शायद तुम्हे पता ना हो,
पर,…
जब से तुम उड़ गए हो
मेरे कुछ सपने सच होने लगे हैं

२१ नवंबर २०११

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