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अनुभूति में वीरेन्द्र अकेला की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अदावत दिल में
दिन बीता
पहले तेरी जेब
महकते गुलशनों में
सूर्य से भी पार
 

 

पहले तेरी जेब

पहले तेरी जेब टटोली जाएगी
फिर यारी की भाषा बोली जाएगी

तेरी तह ली जाएगी तत्परता से
ख़ुद के मन की गाँठ न खोली जाएगी

नैतिकता की मैली होती ये चादर
दौलत के साबुन से धो ली जाएगी

टूटी इक उम्मीद पे ये मातम कैसा
फिर कोई उम्मीद सँजोली जाएगी

कौन तुम्हारा दुख, अपना दुख समझेगा
दिखलाने को आँख भिगो ली जाएगी

कह दे, कह दे, फिर मुस्काकर कह दे तू
“तेरे ही घर मेरी डोली जाएगी”

झूठी शान ‘अकेला’ कितने दिन की है
एक ही बारिश में रंगोली जाएगी

१ मई २०१७

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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