अनुभूति में वीरेन्द्र
अकेला
की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अदावत दिल में
दिन बीता
पहले तेरी जेब
महकते गुलशनों में
सूर्य से भी पार
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अदावत दिल में
अदावत दिल में रखते हैं मगर यारी
दिखाते हैं
न जाने लोग भी क्या क्या अदाकारी दिखाते हैं
यक़ीनन उनका जी भरने लगा है मेज़बानी से
वो कुछ दिन से हमें जाती हुई लारी दिखाते हैं
उलझना है हमें बंजर ज़मीनों की हक़ीक़त से
उन्हें क्या, वो तो बस काग़ज़ पे फुलवारी दिखाते हैं
मदद करने से पहले तुम हक़ीक़त भी परख लेना
यहाँ पर आदतन कुछ लोग लाचारी दिखाते हैं
डराना चाहते हैं वो हमें भी धमकियाँ देकर
बड़े नादान हैं पानी को चिन्गारी दिखाते हैं
दरख़्तों की हिफ़ाज़त करने वालों डर नहीं जाना
दिखाने दो, अगर कुछ सरफिरे आरी दिखाते हैं
हिमाक़त क़ाबिले-तारीफ़ है उनकी ‘अकेला’जी
हमीं से काम है हमको ही रंगदारी दिखाते हैं
१ मई २०१७ |