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अनुभूति में सूर्यभानु गुप्त की रचनाएँ-

अंजुमन में-
जिनके अंदर चिराग
दिल में ऐसे
दिल लगाने की भूल
सुबह लगे है यूँ
हर लम्हा ज़िंदगी

संकलन में-
वर्षा मंगल- जामुन का पेड़

'

हर लम्हा ज़िंदगी
 

हर लम्हा ज़िन्दगी के पसीने से तंग हूँ
मैं भी किसी क़मीज़ के कॉलर का रंग हूँ

मोहरा सियासतों का, मेरा नाम आदमी
मेरा वुजूद क्या है, ख़लाओं की जंग हूँ

रिश्ते गुज़र रहे हैं लिए दिन में बत्तियाँ
मैं बीसवीं सदी की अँधेरी सुरंग हूँ

निकला हूँ इक नदी-सा समन्दर को ढूँढ़ने
कुछ दूर कश्तियों के अभी संग-संग हूँ

माँझा कोई यक़ीन के क़ाबिल नहीं रहा
तनहाइयों के पेड़ से अटकी पतंग हूँ

ये किसका दस्तख़त है, बताए कोई मुझे
मैं अपना नाम लिख के अँगूठे-सा दंग हूँ

१९ अप्रैल २०१०

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