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अनुभूति में सुरेन्द्र चतुर्वेदी की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अलग दुनिया से हटकर
एक लंबी उड़ान
खुदाया इससे पहले
जिस्म के बाहर
पंछियों का आना-जाना
बदन से हो के गुजरा

 

जिस्म के बाहर

जिस्म के बाहर मैं खुशियाँ ढूँढने जाता नहीं
मेरे भीतर के सुकूँ का कोई अंदाजा नहीं।

इश्क की ऐसी हवेली में हुआ हूँ बंद मैं
खिडकियाँ जिसमें हजारों कोई दरवाजा नहीं।

बुझ चुकी हैं मुझमें अब सारी चितायें दर्द की
रूह तक में जख्म मेरे कोई भी ताजा नहीं।

मुझको लगता है समंदर सैकडों पी जाऊँगा
जैसे मेरी प्यास के आगे कोई प्यासा नहीं।

फैसला जलने का मैंने कर लिया आखर कबूल
मैं मगर सायों के पीछे धूप में भागा नहीं।

जिस घड़ी खुद से बिछुड़कर तुझमें शामिल मैं हुआ
बाद उसके उम्र भर मैं लौट कर आया नहीं।

सूखे रिश्तों का पुराना पेड हूँ मैं दोस्तो!
मैं तो साया हूँ मगर मेरा कोई साया नहीं।

२८ अप्रैल २०१४

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