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अनुभूति में सुल्तान अहमद की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
इन कूओं के पानी से
इसमें मानी क्या
गायब
तेरे माथे पे सलवट

वो आग फेंक गये

अंजुमन में-
गजल ढूँढते हैं
मिले ने मिले

 

 

इसमें मानी क्या

कह दो, इसमें मानी क्या?
प्रीति की रीति निभानी क्या?

देखके तुमको जीती हूँ,
है मेरी नादानी क्या?

कई दिनों से ग़ायब हो,
ऐसी भी मनमानी क्या?

हम भी राह न देखेंगे,
आँखें रोज़ बिछानी क्या?

कुछ तो हमसे बात करो,
उसमें नई-पुरानी क्या?

बुझी-बुझी मैं रहती हूँ,
है इसमें हैरानी क्या?

प्यार में दोनों एक हुए,
क्या मुश्किल, आसानी क्या?

२९ जुलाई २०१३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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