अनुभूति में
सत्यशील
राम
त्रिपाठी की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अँधेरी रात में
एक हरक़त
कहीं पर कट रहे आराम
धीरे धीरे
न बजती बाँसुरी
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न बजती बाँसुरी
न बजती बाँसुरी, घुंघरु, कहीं
कत्थक नहीं होता
दिलों के बीच में यदि प्रेम का चुम्बक नहीं होता
हवा का डाकिया लेकर हमारा खत पहुँच जाता
तुम्हारे खिड़कियों के साथ गर फाटक नहीं होता
तुम्हारे शहर में पब-पार्टियों का ख़ूब जलवा है
हमारे गाँव में ये काम तो अबतक नहीं होता
सुरक्षा के लिए अपनी जहर कुछ साँप रखते हैं
लिए हाथों में तलवारें कोई घातक नहीं होता
किसी को देखते विश्वास कर लेना नहीं प्यारे
उठाए चोंच हर पंछी कभी चातक नहीं होता
मोहब्बत ख़ुद-ब-खुद राहें बना लेती है ऐ "सत्या"
नदी के पास कोई भी दिशासूचक नहीं होता
१ मई २०२३ |