अनुभूति में
सत्यशील
राम
त्रिपाठी की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अँधेरी रात में
एक हरक़त
कहीं पर कट रहे आराम
धीरे धीरे
न बजती बाँसुरी
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अँधेरी
रात में
अँधेरी रात में जो देखता दिनमान के सपने
उसे कैसे दिखायेगा कोई तूफ़ान के सपने
दिखाना चाहिए था जिनको भी विज्ञान के सपने
दिखाने में लगे हैं वे हमें धनवान के सपने
दिखाकर रूस के या चीन के, जापान के सपने
शहर ने मार डाला गाँव के नादान के सपने
हकीमों की दवाई रास आ सकती नहीं उसको
कि जिस तितली ने देखे फूल के बागान के सपने
अदालत आखिरी उम्मीद थी लेकिन निराशा दी
तभी से दिन में भी आने लगे शैतान के सपने
हमारी हैसियत का आकलन इस बात से करना
हमारी आँख में पलते हैं हिंदुस्तान के सपने
१ मई २०२३ |