अनुभूति में
संदीप पांडे की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अनाज सड़ गए
उसकी किस्मत
उससे सपनों में बात
मुझको कुछ भी नहीं |
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उसकी किस्मत
उसकी किस्मत बदल रही होगी
साँस होगी जो चल रही होगी
रोशनी के मिजाज मत पूछो
चाँदनी रात ढल रही होगी
उसको मौका नहीं मिला होगा
यों तो नीयत मचल रही होगी
दोस्ती हो तो हो भला कैसे
दुश्मनी दिल से चल रही होगी
उसको दुनिया से कर दिया रुखसत
घर से बाहर निकल रही होगी।
१५ दिसंबर
२०१४ |