अनुभूति में
संदीप पांडे की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अनाज सड़ गए
उसकी किस्मत
उससे सपनों में बात
मुझको कुछ भी नहीं |
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उससे
सपनों में बात
उससे सपनों में बात की मैंने
रात भर नींद ही न ली मैंने
उसकी आँखों ने ये नहीं देखा
धार आँसू की रोक ली मैंने
उसने लब सी लिए न जाने क्यों
जाने क्या बात बोल दी मैंने
उसकी मायूसियाँ बताती हैं
मस्ती दरिया में फेंक दी मैंने
उसके दामन पे कुछ गिरा होगा
नींद जो रातभर न ली मैंने
१५ दिसंबर
२०१४ |