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अनुभूति में संदीप पांडे की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अनाज सड़ गए
उसकी किस्मत
उससे सपनों में बात
मुझको कुछ भी नहीं

' अनाज सड़ गए
 
अनाज सड़ गए दुकानों में
गरीब रह गए बयानों में

अधूरी रह गई कवायद भी
खुदाई खो गई अजानों में

बहुत से लफ्ज मिल गए उसको
देखी दरियादिली बखानों में

यों तो दिल उसका खूबसूरत था
मगर वो दब गई खजानों में

मेरी दुनिया उजड़ गई यारों
लिया गिन मुझको भी दीवानों में

१५ दिसंबर २०१४

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