अनुभूति में
रणवीर सिंह अनुपम की रचनाएँ-
अंजुमन में-
कई दिल की उलझन
जिंदगी में इस तरह
पड़ोसी की लड़की
मेरे दिल की धड़कन
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मेरे दिल की धड़कन
मेरे दिल की धड़कन, तुम्हारी ये
आँखें,
हमें लगती जां से, प्यारी ये आँखें॥
समुंदर की गहराई, को हैं समेटे,
किसी की हैं बिरहा की, मारी ये आँखें॥
गयी रात फिर भी, खुमारी है बाकी,
ये बोझिल हैं पलकें, क्वारी ये आँखें॥
मेरा चित्त, चितवन, चुरा गयीं जो,
हुयी पार दिल के, कटारी ये आँखें॥
जिन्हें इक नज़र, देखना चाहे दुनिया,
लवालव हैं मधु से, न्यारी ये आँखें॥
उठता गया ज्यों ये, चेहरे से घूँघट,
झुकती गई त्यों, तुम्हारी ये आँखें॥
खुली आँखों में जो, नज़ारा है देखा,
खुली रह गयी फिर, हमारी ये आँखें॥
१३ जून २०११ |