अब साथ भी उनका
अब साथ भी उनका रहे या न रहे
चलना है मुझे वो चले या न चले
पूछो अभी उससे बहारों का पता
यों रू-ब-रू फिर वो रहे या न रहे
तुम आज जी भर के सीसकने दो मुझे
कल क्या पता ये ग़म रहे या न रहे
हम तो कहेंगे जो भी कहना हैं हम
उसकी है मरज़ी वो सुने या न सुने
मुझे मेरी बस राह आ जाए नज़र
ये रात चाहे फिर ढले या न ढले
है ज़िंदगी का अर्थ ही चलना
'पुरु'
राह मिल गई मंज़िल मिले या न मिले
१५ मार्च २०१० |