अनुभूति में
पंकज मिश्र वात्स्यायन की रचनाएँ—
अंजुमन में—
कहने को तो
नागयज्ञ होगा दोबारा
बसंत
श्मशान पर मेरा पता |
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श्मशान पर मेरा
पता लिखा देना
मुझे सजाने से पहले ये चेहरा उन्हें दिखा देना
ढूँढ रहा था उनको ही नैनों में यही बता देना
मुझे जलाने से पहले दिल करना मेरा तन से अलग
इसमें उनकी सुन्दर सी तस्वीर है यही दिखा देना
प्रेम पत्र क्या उन्हें लिखूँ सन्देश उन्हें अब क्या दूँ मैं
मेरी ग़ज़लों का वो है संसार उन्हें समझा देना
अश्कों का दरिया भी बहेगा उनकी आँखों से निश्चित
आबे नज़र से इस आशिक को उसमें स्नान करा देना
सुनो गौर से मेरी ख्वाहिश पूरी कर देना यारों।
उनके घर की राह में मेरी चिता-भस्म फैला देना
मुझे ढूँढते छोड़ छाड़ सब उनको है आना इक रोज़
पथ ना भूलें वो श्मशान पर मेरा पता लिखा देना
३० मार्च २०१५ |