अनुभूति में
पंकज मिश्र वात्स्यायन की रचनाएँ—
अंजुमन में—
कहने को तो
नागयज्ञ होगा दोबारा
बसंत
श्मशान पर मेरा पता |
|
नाग यज्ञ होगा
दोबारा
व्याल रूप इंसान आज साक्षात् देखकर आया हूँ
गिरगिट कैसे रंग बदलता आज भाँपकर आया हूँ
बदल रहे मौसम की मैनें आज हकीकत देखी है
संबंधों के उपवन को बर्बाद देखकर आया हूँ
पाल रखे थे आस्तीन में दिल पर सीधा वार हुआ
विष से मन का हाल बुरा है डंक झेलकर आया हूँ
कह दो पंकज दुनिया से अब ये गल्ती फिर ना होगी
मानवता का पृष्ठ फाड़कर आज फेंककर आया हूँ
अब मिलना तो बचकर मिलना जन्मेजय फिर जिन्दा है
नाग यज्ञ होगा दोबारा खुद से कहकर आया हूँ
३० मार्च २०१५ |